सुप्रीम कोर्ट की समिति को भी अदालत की तरह साक्ष्य और तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट देनी होगी. क्योंकि जिन दस्तावेजों के आधार पर कमेटी रिपोर्ट देगी उन्हें इसे बनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के जज भी देख सकते हैं. अगर रिपोर्ट तथ्य और साक्ष्य के विपरीत रही तो जज उसे दरकिनार भी कर सकते हैं. या अपने तरीके से कमेटी से हटकर नतीजे निकाल सकते हैं. इसलिये कानूनों के विरोधियों को भी कमेटी के समक्ष अपनी बात दस्तावेजी प्रमाण और तथ्यों के आधार पर रखनी चाहिये.