किसान आंदोलन को समझने के लिये झलक दिखाती एक अधखुली खिड़की

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2020-12-30 09:21:53


किसान आंदोलन को समझने के लिये झलक दिखाती एक अधखुली खिड़की

बिहार के एक जदयू नेता और घान मिल वाले ने एक इंटरव्यू में कहा कि बिहार में एक करोड़  40 लाख टन धान पैदा होता है. उसमें से बमुश्किल बीस लाख टन धान पेक्स के माध्यम से सरकारी खरीद होती है. इस पर एमएसपी मिलती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कई बार धान मिलर्स ने ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि पेक्स के साथ साथ एफसीआई व दूसरी सरकारी खरीद की एजेंसियों को अवसर दिया जाए तो इससे राज्य सरकार केा राजस्व मिलेगा, एक ऐसा इकोसिस्टम बनेगा जिससे धान मिलर्स की बदहाल मिलों के लिये धान मिल पाएगा. रोजगार बढ़ेगा, ट्रांसपोरटेशन को बढ़ावा मिलेगा. राज्य की राशन की दुकानों के लिये पर्याप्त चावल बिहार से ही मिल सकेगा.
उनका कहना था कि बिहार के किसान अभी पहले पेक्स के चक्कर लगाते हैं पर भ्रष्ट अफसर ध्यान नहीं देते. उसी धान को किसान से व्यापारी आने पौने दामों पर खरीद कर पेक्स को देते हैं और कमाते हैं. उसके बाद उनकी हरियाणा और पंजाब के व्यापारियों से सांठगांठ होती है. वे किसानों से आने पौने दाम पर खरीदे गये बचे धान को वहां के व्यापारियों को कम कीमत पर बेच देते हैं. वहां के व्यापारी उसे वहां के किसानों के माध्यम से एमएसपी पर एफसीआई को बेचकर यह किसान और व्यापारियों का गठजोड़ भारी मुनाफा कमा लेता है. बिहार की राशन की जरूरत यहां खरीदे गये घान से निकले चावल की चार गुनी है इसलिये राज्य की शेष जरूरतों को पूरा करने के लिये एफसीआई पंजाब और हरियाणा के अपने गोदामों से चावल बिहार को भेजता है. यानि बिहार का धान पंजाब गया, वहां से धान के रूप में वापस बिहार आया तो  ट्रांसपोरटेशन का खर्च जुड़ने से बेवजह का खर्च बढ़ा. एफसीआई के गोदाम बिहार मे भी है और वह बिहार से खरीद भी कर सकता है पर नीतीश सरकार के नीतिगत फैसले नहीं लेने के कारण यह संभव नही हो पा रहा है.
यह स्थिति धान उपजाने वाले पंजाब और हरियाणा को छोड़कर सारे राज्यों में है.
यह है किसान आंदोलन की अंदरूनी राजनीति. जब धान की खरीद के कई विकल्प होंगे, तब पंजब और हरियाणा के व्यापारियों और किसानों के साथ साथ  धान उपजाने वाले राज्यों के दलाल और व्यापारी पंजाब पंजाब और हरियाणा हरियाणा कैसे  खेल पाएंगे. तब ये सभी भारी मुनाफा कमा कर सरकारी खजाने को चूना कैसे लगा पाएंगे. यह बात काफी हद तक अनाज पर भी स्वमेव लागू हो जाती है.

Contact:
Editor
ओमप्रकाश गौड़ (वरिष्ठ पत्रकार)
Mobile: +91 9926453700
Whatsapp: +91 7999619895
Email:gaur.omprakash@gmail.com
प्रकाशन
Latest Videos
जम्मू कश्मीर में भाजपा की वापसी

बातचीत अभी बाकी है कांग्रेस और प्रशांत किशोर की, अभी इंटरवल है, फिल्म अभी बाकी है.

Search
Recent News
Leave a Comment: