जम्मू कश्मीर में विकास और लोकतंत्र की जीत

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2020-12-23 05:33:23


जम्मू कश्मीर में विकास और लोकतंत्र की जीत

जम्मू कश्मीर में हुए डीडीसी (डिस्ट्रिक डेवलपमेंट काउंसिल) के चुनाव में जीत को लेकर दोनों पक्ष जम कर लड़ रहे हैं. गुपकार गैंग सौ से ज्यादा सीटें जीत जाने के बाद दावा कर रहा है कि यह धारा 370 को हटाने के पक्ष में जनमत संग्रह का  नतीजा है. भाजपा का दावा  है कि वह 70 से ज्यादा सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी है. यह भाजपा की यह जीत धारा 370 को हटाने के पक्ष में जीत है.
जब राजनीतिक पार्टियों से हट कर विश्लेषकों से बात करें तो वे भी अपनी अपनी खेमेबाजियों में बंट कर तर्क गढ कर बोल रहे हैं. वहीं निष्पक्ष विश्लेषकों की आवाज नक्कारखानें में तूती की आवाज बन दब सी जाती है. लेकिन वही सत्य है और वहीं अंत तक टिकने वाली है. वह यह है कि यह लोकतंत्र की जीत है. यह बुलेट की  हार और बेलेट की जीत है. यह विकास की जीत है. इस बार मतदान का प्रतिशत 51 से ज्यादा रहा जो इस बात का संकेत है कि यह खुला लोकतंत्र था जिसमें जनता ने दिल खोलकर भाग लिया. धारा 370 हटाने के विरोधियों के गढ़ों में भी इसके खिलाफ वोट डाले गये. 280 सीटों में से अगर एक सौ दस सीटें हटाने के विरोधी जीतने की ओर  हैं तो इसे हटाने की कट्टर समर्थक भाजपा भी तो 70 सीटें जीत रहे है. मोदी के विकास के नारे पर चुनाव लड़ने वाले करीब 50 निर्दलीय भी जीते हैं. वे धारा 370 हटाने के विरोधी नहीं हैं. वे विकास समर्थक हैं. इसीलिये भारी मतदान से कारण कहा जा रहा है कि लोकतंत्र जीता है. विकास की रट लगनानें वालों का जीतने वालों में बहुमत है इसलिये कहा जा रहा है कि विकास जीता है. धारा 370 हटाने के की मांग करने वालों की संख्या आधे से काफी कम है इसलिये कहा जा रहा है कि धारा 370 हटाने की रट लगाने वाले हार गये हैं.  
धारा 370 हटाये जाने के बाद चुनाव कब तक  होंगे इसका अंदाज किसी को नहीं लग रहा था. गिरफ्तार नेता और कार्यकर्ताओं की रिहाई कब तक होगी इसका भी अंदाज नहीं लग रहा था. मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के विकास में लगी थी और देशभर में प्रचलित त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली को लागू करने की दिशा में कार्यरत थी. पंचातय चुनाव भी करवाए. पर उसे लेकर कई सवाल खड़ किये जा रहे थे और आतंकवादी डराने धमकाने से लेकर हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहे थे. सेना लगातार आतंकवादियों का सफाया कर रही थी उसके बाद भी हत्याएं रूक नहीं रही थीं़. धारा 370 हटाने का विरोध करने वालों ने इसे वापस न लाए जाने तक किसी भी चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर रखी थी. पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया और जिला विकास परिषद के चुनाव का बहिष्कार पर भी अड़े थे. चुनावों की घोषणा के बाद अचानक ऐनवक्त पर चुनाव में भाग लेने की घोषणा कर दी. उन्हें लग गया कि वे चुनाव नहीं लड़े तो उनका राजनीति के मैदान में सफाया हो जाएगा. इसलिये वे लड़े पर अपेक्षित जीत वे भी हासिल नहीं कर पाए. 22 दिसंबर को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होने के 24 घंटे बाद भी वह पूरी नहीं हो पाई थी.
नतीजों को संक्षेप में समझना चाहें तो जम्मू में भाजपा का पलड़ा भारी है  तो कश्मीर  घाटी में फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली गुपकार गैंग का झंडा उंचा है. तीन सीटें जीत कर भाजपा ने बता दिया है कि वह भी अब मैदान में है. इनमें एक सीट तो श्रीनगर जिले की भी है. विकास समर्थक निर्दलियों की जीत का परचम घाटी के साथ जम्मू में फहरा रहा है. जिला विकास परिषदों की बात करें तो जम्मू में 6 जिला विकास परिषदें भाजपा के कब्जे में आई हैं. 9 जिला विकास परिषदों पर गुपकार गैंग का कब्जा हो चुका है. वहीं 5 जिला विकास परिषदें ऐसी हैं जिसकी किस्मत का फैसला निर्दलियों को करना है. इनमें श्रीनगर की जिला परिषद भी शामिल है.   
 23 दिसंबर को सुबह 9 बजे तक 70 सीटें जीत कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस 60 सीटों को जीत कर दूसरे स्थान पर है. गुपकार गैंग की अघ्यक्षा मेहबूबा मुफ्ती की पीडीपी 25 सीटें ही जीत पाई है. धारा 370 को लेकर भ्रमित कांग्रेस को 27 सीटें मिली हैं. जबकि विकास समर्थक जीतने वाले निर्दलियों की संख्या 45 है. माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को पांच सीटें मिली है. पीपुल्स कांफ्रेंस को 8, पीपुल्स मूवमेंट को 3, बसपा को 1, पैंथर्स  पार्टी को 1, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रेंट को 2, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 2 सीटे मिलने की उम्मीद है.  

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