मध्यप्रदेश सरकार ने अस्पतालों का प्रबंधन प्रबंधन में विशेषज्ञ लोगों को सौंपने का जो फैसला लिया है वह स्वागत योग्य है. इसका उद्देश्य डाक्टरों को प्रबंधन के दबाव से मुक्त करना है ताकि वे चिकित्सा पर ध्यान केन्द्रित कर सकें. लेकिन यह कदम सावधानी के साथ पूरी तैयार के बाद योजनाबद्ध तरीके से उठाने की जरूरत है क्योंकि इसके पूर्व अस्पतालों में प्रबंधन का काम सीनियर डिप्टी कलेक्टरों को सौंपने का प्रयोग डाॅक्टरों के विरोध के कारण ही विफल हो चुका है. डाक्टर आने जाने और काम में जिस प्रकार की आजादी की अपेक्षा रखते हैं वह कई बार प्रबंधन की मान्य धारणाओं के विपरीत जाता है तो कई बार डाक्टरों के निजी और चिकित्सकीय हितों के खिलाफ. निहित स्वार्थो के खिलाफ तो होता ही है. इन सबका मिलाजुला असर विरोध को जन्म देता है. इसलिये सावधानी अपेक्षित है.