कोरोनाकाल: सच, ऐसा हो जाए तो....!

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2020-10-21 09:59:39


कोरोनाकाल: सच, ऐसा हो जाए तो....!

कोरोनाकाल: सच, ऐसा हो जाए तो....!
 - राकेश दुबे, वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल
और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना दुष्काल में अपने संबोधन के ७ वें संस्करण में जो कहा उसके मूल में सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों के पैनल की रिपोर्ट है। जो अब सार्वजनिक हो गई है। यह रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी नियंत्रण फरवरी 2021 तक नियन्त्रण में आ जाएगी। इस अनुमान का आधार हाल ही में कोरोना संक्रमितों की दर में गिरावट और ठीक होने वालों की संख्या को देखकर लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ही राहत की बात यह है कि महामारी का सबसे भयावह दौर निकल चुका है। वैज्ञानिकों के पैनल का कहना  है कि 17 सितंबर को भारत में कोरोना पीक निकल चुका है, जिसके बाद संक्रमण में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। वैसे तो आदर्श स्थिति तब होगी जब सक्रिय मामले गिनती के बचें और नये मामले सामने न आयें। संक्रमण में लगातार आ रही गिरावट से ऐसी उम्मीद जगी है।
देश में 18 अक्तूबर तक 7.83 लाख सक्रिय केस थे, जो कुल केसों के लगभग 10.5 प्रतिशत थे। जिसे एक प्रतिशत तक लाना हमारी प्राथमिकता होगी तभी पैनल के निष्कर्ष कसौटी पर खरे उतरेंगे। उम्मीद की बात यह भी है कि देश के कुल बाइस राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में सक्रिय मामले बीस हजार या उससे कम हैं। वहीं बीस हजार से अधिक संक्रमितों वाले राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या तेरह है। करीब बासठ फीसदी क्षेत्र में महामारी नियंत्रण में आती प्रतीत हो रही है।  ऐसे में हमारी चिंता का विषय वाले राज्य महाराष्ट्र, केरल व कर्नाटक हैं, जहां संक्रमितों का आंकड़ा पचास हजार से अधिक है, जिसमें पिछले कुछ त्योहारों में सामाजिक सक्रियता की वजह से हुई चूक की भी बड़ी भूमिका है। इसके बावजूद इन राज्यों में भी ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में सकारात्मक रुझान देखा गया है। देश में ठीक होने वालों का 88 प्रतिशत होना भी हमारी उम्मीद का बड़ा कारण है। इन आंकड़ों ले आधार पर विश्वास किया जाना चाहिए कि अन्य बातें समान रहीं तो फरवरी तक हम कोरोना को परास्त करने की स्थिति में होंगे।
पहली बार स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि देश के कुछ इलाकों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ है। केरल व पश्चिम बंगाल की सरकारें पहले से ही ऐसे दावे करती रही हैं। वैज्ञानिकों की समिति का दावा है कि देश में लगभग 30 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। बहरहाल, हकीकत यही है कि कोरोना का असली खात्मा हम तभी कर सकते हैं जब बड़ी आबादी को कोरोना पर नियंत्रण करने वाली वैक्सीन उपलब्ध होगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि दिसंबर तक वैक्सीन उपलब्ध होगी। इसमें भारत में तैयार हो रही वैक्सीन के साथ ही ब्रिटिश, अमेरिकन और रूसी वैक्सीन भी हमें उपलब्ध हो सकती है। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक के दूसरे व तीसरे दौर के ट्रायल भी भारत में करने पर सहमति बनी है। इस सब के बावजूद हमें लापरवाह नहीं होना है। यूरोपीय देशों व अमेरिका में कोरोना को लेकर बरती गई लापरवाही से संक्रमण की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है और नये सिरे से कफ्र्यू और लॉकडाउन लगाये जा रहे हैं। अध्ययन बताते हैं कि स्पैनिश, एशियाई और हांगकांग फ्लू जैसी सांस की महामारियां खत्म होने के छह माह बाद फिर से दूसरी लहर के रूप में लौटी हैं।
आने वाला मौसम सर्दी का है। हमारे देश भारत में एक दिक्कत यह भी है कि शहरों में बढ़ते प्रदूषण को संक्रमण के विस्तार में सहायक माना जा रहा है। चिंता यह भी है कि त्योहारों के देश में अगले एक माह के भीतर बड़े त्योहार हैं, इसलिये अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। ठंड के मौसम को लेकर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि वायरस के तेजी से फैलने की आशंका है। इसकी वजह यह भी है कि सर्दी के मौसम में सांस से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। फिर बीते वर्ष कोविड-19 नवंबर के महीने में ही चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था। हमारी चूक से दूसरी लहर की पृष्ठभूमि तैयार हो सकती है। उम्मीद के आंकड़ों के बावजूद देश के लोगों सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हाथ धोने जैसे सुरक्षा कवच को साथ रखना होगा।


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