सबसे बड़ा और खर्चीला उपचुनावी दौर

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2020-10-19 09:34:36


सबसे बड़ा और खर्चीला उपचुनावी दौर

सबसे बड़ा और खर्चीला उपचुनावी दौर
- आखिर क्यों पड़ी देश पर कोरोना के साथ उपचुनावों की मार?
दिलीप पाल, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल
निश्चित रुप से देश में यह पहला बड़ा उपचुनाव है जो न केवल खर्चीला है बल्कि हमारे देश की जरुरत से ज्यादा लोकतांत्रिक छूट की देन है। यदि देश में दलबदल के कानून में ओर सख्त संशोधन कर दिया गया होता तो संभवतः किसी भी नेता की यह हिम्मत नहीं होती कि वह इस तरह से एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिरा कर देश के माथे पर एक अनावश्यक चुनाव ठोक देता।
 आज देश में कोरोना की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए। इस समय तो जरुरत यह थी कि देश व प्रदेश की सरकारों को कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार दिलाने की दिशा में काम करना चाहिए था लेकिन हो यह रहा है कि मप्र की सरकार चुनाव कराने में जुटी हुई है। ताकि दलबदलुओं के भरोसे से बनी सरकार को स्थायित्व मिल सके।
 चुनाव आयोग ने भी यह स्पष्ट तौर पर घोषित कर दिया है कि मप्र में हो रहे 28 विधानसभा उपचुनाव में प्रत्येक सीट पर 1 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं। हालांकि इस खर्च को प्रत्याशियों के चुनाव खर्च में जोड़ा जा रहा है लेकिन कहीं न कहीं इस खर्च का भार आमजन पर पडने वाला है।
 भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को भी रास नहीं आ रहा उपचुनाव -
एक सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 28 सीटों पर होने जा रहे यह उपचुनाव भाजपा के ऐसे जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहे हैं जो सिंधिया और कांग्रेस से हमेशा से दूरी बनाए रखना चाहते थे, लेकिन अब वही उनके गले पड़ गए हैं। लिहाजा यह मजबूरी ऐसे कार्यकर्ताओं को कब तक शांत रखेगी यह कहा नहीं जा सकता है लेकिन यह तय है कि इनकी यह शांति भविष्य का सैलाव न बन जाए। क्योंकि सभी 28 विधानसभा क्षैत्रों में यह कार्यकर्ता या तो बेमन से काम कर रहे हैं या फिर घर बैठे हैं।

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