पैपर आऊट कराने वालों को नहीं है योगी जी के बुलडोजर का डर 4 अप्रैल.

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2022-04-04 11:09:29


पैपर आऊट कराने वालों को नहीं है योगी जी के बुलडोजर का डर 4 अप्रैल.

उत्तरप्रदेश में बारहवी का अंग्रेजी का पेपर आऊट हो गया. व्हाट्सएप पर नजर आने लगा तो उसे उन केन्द्रों के लिये निरस्त किया गया जहां यह पैपर लिया जाना था. बीस साल का रिकॉर्ड देखें तो हर साल एक या दो पेपर आऊट होते हैं उनमें मायावती का कार्यकाल भी है जिसमें गुंडे थर्राते थे तो योगीजी का पिछला पांच साल का कार्यकाल भी शामिल है. अभी दस मार्च को ही उनका दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ है और यह घटना  हो गई.
पैपर आऊट होना देशव्यापी घटना है. हर राज्य में हर स्तर पर होती रहती है. सरकारें सख्ती करती हैं फिर भी काबू में नहीं आ पा रही हैं. इसका कारण क्या है. क्या सख्ती में कमी है या भ्रष्टाचारियों के हाथ ज्यादा मजबूत हैं या लालची लोग बढ़ गये हैं जो किसी से नहीं डरते.
ये सब हैं लेकिन इससे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार में मिलने वाला कुबेर का खजाना जिससे मुकरने के लिये सत्यावादी हरिश्चन्द्र होना जरूरी है. ऐसे बिरले ही होते हैं. छोटे मोटे लालच पर तो काबू पाने वाले मिल  जाते हैं पर जब कुबेर के खजाने जैसा लालच  हो तो उसके आगे टिकना कठिन होता है. लालच  में दिखाई जाने वाली या कहें ईमानदारी तोड़ने पर दी जाने वाली रकमें लाखों से करोड़ों में पहुंच गई है. दो पांच करोड़ तो लगता है आम बात है.
इतनी बड़ी रकम कौन देता है तो इसका खुलासा कई बार हुआ है पर राजस्थान विधानसभा में भाजपा के करोड़ीमल मीणा ने किया है. उन्होंने कहा है कि राजस्थान की हर सरकार में पैपर आऊट होते हैं, परीक्षा के पहले पैपर बिकते हैं. इसके लिये दोषी काम्पीटिशन की तैयारी कराने वाली संस्थाएं होती हैं. ऐसी सब संस्थाएं दोषी नहीं होती पर कोई न कोई निकल ही आती है. उन्हें बंद किया जाए. ये अपनी प्रसिद्धि बढ़ाने के लिये इस हथकंडे को अपनाती हैं.
पर शिक्षा में ट्यूशन की तरह कोचिंग की बीमारी भी अब लाइलाज बन  चुकी है. हर परीक्षा की कोचिंग होती है. लोग लाखों रूपया खर्च करते हैं. जबकि सच यह है कि आज भी आधे सफल लोग कोचिंग नहीं लेने वाले होते हैं. यह आईआईटी, आईएएस से लेकर सभी परीक्षाओं के लिये सही है.
करोड़ीमल मीणा ने विधानसभा में जो कहा है यह नई बात नहीं है. कई बार उजागर हो चुकी है यह बात. इस बार विधानसभा में कही गई है.
तो क्या किया जाए. क्या काम्पीटिशन परीक्षाएं बंद कर दी जाएं या कोचिंग क्लासेज बंद करने के लिये कमर कसी जाए.
दोनो ही फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन कुछ तो करना होगा. सब मिल कर अक्ल भिड़ाएं तो शायद कोई ऐसा आऊट ऑफ बाक्स आइडिया सामने आ जाए.

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