कभी सफल कामेडियन रहे झेलेंस्की इन दिनों यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं. और भारत में कामेडी शों के सितारे रहे भगवंत मान पंजाब में मुख्यमंत्री हैं.
अमेरिका और नाटो देशों ने षड्यंत्र रचकर झेलेंस्की को अपने झांसे में ले लिया और उन्हें नाटो देशों में शामिल होने के लिये राजी कर लिया. अमेरिका इस प्रकार से रूस को घेर कर उसकी सीमा पर अपनी सेनाएं बैठाने का षड्यंत्र रच रहे थे. इसके माध्यम से रूस को वे और कमजोर कर उसके विभाजन का सपना देख रहे थे. लेकिन कभी केजीबी मेें रहे पुतिन को झांसा देना आसान नहीं था और वे इसे समझ रहे थे. झेलेंस्की को समझाने की कोशिश की पर नाकाम रहे तो अपने देश की सुरक्षा का हवाला देकर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. इससे यूक्रेन बर्बादी झेल रहा है और उसके नागरिक परेशान हैं. पर राष्ट्रवाद के नाम पर झेलेंस्की ने जो नाटक रच रखा है उसके चलते वे रूस के समझौता प्रस्तावों पर तैयार नहीं हो रहे हैं बल्कि नाटो देशों और अमेरिका की भुलावे में चने के झाड़ पर चढ्कर ऐसी शर्ते रख रहे हैं जिन्हें रूस मान नहीं सकता. अभी तक नोटो देश जमीनी स्तर पर यूक्रेन को कोई आर्थिक और सैन्य मदद नहीं भेज पाए हैं बस आर्थिक व दूसरे प्रतिबंध लगा रहे हैं जिनसे दुनिया में रूस विरोधी जनमत तो भले ही बन रहा हो, पर झेलेंस्की, यूक्रेन और वहां की जनता को बर्बादी से कोई राहत नहीं मिल रही है. याद रहे कि झेलेंस्की रूस समर्थक राष्ट्रपति को चुनाव में हरा कर ही सत्ता में आये थे. उनकी जीत में कामेडी शो में जो कला वह बताते थे उसका ही सबसे बड़ा हाथ था. इन दिनों रूस समर्थक राष्ट्रपति यूक्रेन छोड़ दूसरे पड़ोसी देश में रह रहे हैं.
यह भूमिका सिर्फ इसलिये कि देश के एक राज्य पंजाब में भी एक कामेडियन रहे नेता को चमत्कारी बहुमत से मुख्यमंत्री का ताज मिला है. पंजाब में पूर्व में भारी खून खराबे के बाद भगाया जा चुका खालिस्तानी आतंकवाद घुसने की पूरजोर कोशिश कर रहा है. पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगती है जो देश में आतंकवाद फैलाने की पूरी कोशिश में आजादी के बाद से ही लगा है. अभी भी जम्मू कश्मीर में वह इस करतूत में लगा है. वह पंजाब में खालिस्तान समर्थकों को मदद पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रहा है. पंजाब में नशीली दवाओं का भारी कारोबार है जो वहां के युवाओं को बर्बाद कर रहा है. भ्रष्टाचार चरम पर रहा है. ऐसे में पंजाब को अनुभवी राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव वाले नेतृत्व की जरूरत है. पर लोकतंत्र में सबको आजादी है कि वे चुनाव लड़े और जनता जिसे चाहे अपना और प्रदेश का भविष्य उसके हाथों में सौंप दे. ऐसे में केजरीवाल की पार्टी आप को भारी और चमत्कारी सफलता मिली और कमान भगवंत मान के हाथों में आ गई जो पूर्व कामेडियन हैं. वह सांसद रहे हैं और पहली बार विधायक बने हैं. उन्होंने केजरीवाल पर दबाव बना कर चुनाव से पहले ही अपने को मुख्यमंत्री का दावेदार बनवा लिया था. जब 177 सदस्यों की विधानसभा में आप के 92 विधायकों का बहुमत मिला तो कमान भी भगवंत मान को मिलनी थी. याद रहे कि केजरीवाल भी मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में काफी आनाकानी कर रहे थे. इस रवैये को तोड़ने के लिये मान ने बागियों जैसे तेवर बताने में ज्यादा देर नहीं की और केजरीवाल को फैसला लेने को मजबूर कर दिया था जो मान के पक्ष में गया. तब यह कहा गया कि केजरीवाल के मन में कुछ और था पर उन्होंने यह फैसला मजबूरी में लिया है.
दुनिया में भी कामेडियन की चर्चा थी और भारत में भी जब छिड़ गई तो मैनें पहली बार भगवंत मान के पुराने कामेडी शो देखे. वे गजब के कामेडियन हैं. पर उसमें वे केशधारी सिख नजर नहीं आये. मैंने उनके संसद के वीडियो भी देखे तो समझ में आया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हो या बजट पर उन्होंने सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल का गुणगान किया. अध्यक्ष के टोकने पर भी कि वे संदर्भ के हिसाब से अभिभाषण या बजट पर बोले पर उन्होंने केजरीवाल और दिल्ली सरकार के कामों का ही गुणगान किया. मोहल्ला क्लिनिक पर बोले, प्रायवेट जैसे बन चुके सरकारी स्कूलों पर बोले. हो सकता है वे कभी देश की अर्थव्यवस्था या प्रशासनिक मामलों या देश की अन्य समस्याओं पर भी बोले हों जो मैं नहीं देख पाया हूं. पर मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जो भाषण दिये उनमें भी कोई विकास और जनकल्याण योजनाओं का रोडमेप नहीं दिया. एक दम सीधा सच्चे भाषण दिये जैसे विधायक चंडीगढ़ में न बैंठे, जनता की सेवा दिन रात लग कर करें, ईमानदारी से काम करें, सबके काम करें भेदभाव नहीं करें, जिसने समर्थन में वोट दिया है उनको तो पूछे ही, जिन्होंने वोट नहीं दिया उनकी भी सेवा में कसर नहीं छोड़ें. मंत्री पद या अन्य सुविधाओं का मोह नहीं पालें. सबसे अहम बात कि जो सरकारी अफसर और कर्मचारी काम नहीं कर रहे हों या गलती पर हों तब भी उनके साथ सम्मान और नम्रता से पेश आयें. उनका अपमान नहीं करें. जरूरत हो तो संबंधित मंत्री और उनके यानि मुख्यमंत्री के ध्यान में सारी बातें लायें. वे जो उचित समझेंगे कार्यवाही करेंगे. आप टेंशन न लें. आदि आदि.
हां केजरीवाल ने पूरी सावधानी से जरूर प्रेम से सराबोर सख्त भाषण दिया. सबको याद दिलाया कि जनता सब देखती है. जिन्हें उसने पसंद नहीं किया तो हरा कर गद्दी से हरा दिया. आप लोगों का काम पसंद नहीं आया तो आपको भी सत्ता से हटाने में देरी नहीं करेगी. किसी पद और सुविधा का लालच नहीं पालें. जो काम और लक्ष्य दिया गया है उसे पूरा करें. ऐसा नहीं करने वालों पर सख्ती होगी. बेहद सख्त शब्दों में एक बात कही, सारी गलतियां और कमियां माफ कर दूंगा पर भ्रष्टाचार पर छोड़ूंगा नहीं. साथ ही यह भी याद दिला दिया कि आपके नेता भगवंत मान हैं और मैं बड़ा भाई. यानि जरूरत पर विधायक उनके पास आ सकते हैं पर समाधान में तो मान का हाथ ही उपर रहने वाला है. उन्होंने भगवंत मान की प्रशंसा की और भ्रष्टाचार के खिलाफ हेल्पलाइन की सराहना करते हुए उसे एक्शन लाइन बताया.
केजरीवाल का भाषण उनकी राजनीतिक चतुरता बताता है. उन पर यह लांछन लगाने की कोशिश की जा रही है कि पंजाब में भगवंत मान तो डमी मुख्यमंत्री हैं. असल मुख्यमंत्री तो केजरीवाल हैं जो पर्दे के पीछे से सरकार चलाने वाले हैं. होगा क्या यह तो भविष्य के गर्त में है पर केजरीवाल और मान दोनों फूंक फूंक कर कदम उठा रहे हैं. केजरीवाल के मार्गदर्शन में ही सही भ्रष्टाचार को कम करने, नशीली दवाओं की तस्करी पर काबू पाने के साथ अस्पतालों और स्कूलों की व्यवस्था सुधारने में साल दो साल में ही जनता के मन को सांत्वना देने वाले परिणाम देने में भगवंत मान सफल रहे तो पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस के लिये तो खतरे की घंटी बजना तय है. भाजपा को भी देशभर में अपनी सफलता के दौड़ते घोड़े के बारे में गहरी चिंता करनी पड़ेगी.