केजरीवाल ने पंजाब में चमत्कार बता कर सबको हतप्रभ कर दिया है. निश्चित ही इसमें भाजपा शामिल नहीं है ऐसा कह सकते हैं. पर उसे सतर्क जरूर रहना होगा. याद रखिये साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने की संभावना है. उसमें गुजरात में केजरीवाल अपनी चमक दमक बता सकते हैं पर हिमाचल में सत्ता से वंचिंत करने की सीमा तक भी जा सकते हैं. गुजरात में सूरत नगरनिगम पर केजरीवाल की पार्टी का कब्जा है. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अप्रत्याशित तरीके से भाजपा को शायद 99 पर रोक दिया. जब कांग्रेस यह खेल कर सकती है तो केजरीवाल उसे दोहरा तो सकते ही हैं. हो सकता है उससे आगे भी निकल जाएं. लेकिन हिमाचल में तो हाल मे लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को आसमान के तारे दिखा दिये थे. ऐसा केजरीवाल विधानसभा चुनावों में क्यों नहीं कर सकते. भाजपा अभी तक हिमाचल के लिये योगीजी जैसा ताकतवर मुख्यमंत्री नहीं तलाश पाई है. ऐसे में केजरीवाल के लिये रास्ता बनता है. वह स्थापित पार्टियों के खिलाफ या कमजोर मुंख्यमंत्रियों के विरूद्ध अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं. उत्तराखंड में तो विकास और कल्याण कार्यक्रमों के लगातार शानदार क्रियान्वयन ने भाजपा की लाज बचा ली. पर यह एडवांटेज हिमाचल में भाजपा के पास है ऐसा लगता नहीं है. इसलिये एकबार फिर कहता हूं भाजपा सावधान बहुरूपिया केजरीवाल की काट जितना जल्दी हो सके निकाल लो. देरी भारी पड़ सकती है.