नई शिक्षा नीति में जो बदलाव सुझाए गये हैं वे मूलभूत क्रांतिकारी बदलाव हैं. इसे लागू करने की कोशिश हो रही है. पर उसी के साथ मोदी सरकार डिजिटल एज्यूकेेशन के माध्यम से एक और क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर बढ़ रही है.
नये बजट में टीवी के माध्यम से एज्यूकेशन पर भारी जोर दिया गया है. एक क्लास एक टीवी चैनल उसी दिशा में एक कदम है. हाल ही में डिजिटल एज्यूकेशन में सक्रिय शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस माध्यम पर इसके विस्तार का इरादा जताया है. यह समाचार भी सामने आया है कि यूजीसी ने प्रतिष्ठित स्वायत्तशासी कालेजों को डिजिटल डिग्री देने की सुविधा देने का फैसला लिया है. इससे जो लोग इस प्रकार के कालेजों में सीटों की कमी के कारण प्रवेश नहीं ले पा रहे थे वे डिजिटल माध्यम से इन्हीं कालेजो से पढ़कर इन कालेजों द्वारा दी जाने वाली डिग्री पा सकेंगे. परंपरागत नजरिये वाले हो सकता है इस प्रकार की डिग्रियों को कम अहमियत दें पर इससे इन कालेजों से बेहतर शिक्षा लेने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का माध्यम तो बन ही सकेगा.
पर मेरा मानना है कि हम परंपरागत शिक्षा की कुछ मान्यताओं को छोड़ सके तो युवाओं के लिये नये दरवाजे खुल सकेंगे. साथ उन लोगों को भी अपने सपनों को पूरा करने में मदद मिल सकेगी को किन्हीं भी कारणों से पारंपरिक शिक्षा माध्यमों से उन्हें पूरा करने से वंचित रह गये होंगे.
यह बदलाव है न्यूनतम शिक्षा का अवरोध. बिना प्रायमरी की अंतिम परीक्षा पास किये बगैर मिडिल की कक्षा में नहीं पढ़ सकते या स्कूल एज्यूकेश की अंतिम परीक्षा हायर सेकेंडरी की परीक्षा शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव का सपना है (12 वीं कक्षा) पास किये बगैर कालेज एज्यूकेशन में नहीं जा सकते. इस अवरोध को हटाना होगा.
इस अवरोध को हटाने से पहले हमें एक ऐसी सख्त परीक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी जिसमें गुणवता से कोई समझौता नहीं किया गया है. इस परीक्षा से निकलने वाली की योग्यता सौ टंच वही होगी जिसका दावा परीक्षा पास करने वाला कर रहा हो.
इसके बाद जो भी बालक या व्यक्ति जिस भी क्लास की परीक्षा देना चाहे उसके लिये डिजिटल प्लेटफार्म पर पंजीयन कराए, फीस भरे और शुरू कर दे डिजिटल माध्यम से पढ़ाई. जब परीक्षा आए तो डिजिटल माध्यम से ही परीक्षा दे दे. जहां प्रेक्टिकल जैसी बाधा हो तो उसकी परीक्षा तय संस्थान में जाकर दे दे.
इसमें यह बंधन भी हटाना होगा कि उस परीक्षा के दो चार या दस बीस पेपर छात्र को एक निश्चित समयावधि में पास करने ही होंगे. जितना चाहे समय ले ले. जब पैपर पूरे हो जाए उसे परीक्षा लेने वाली संस्था प्रमाणणत्र दे दे.
यह सुविधा सिर्फ बीए या बीकाम में ही नहीं टेक्निकल और मेडिकल शिक्षा में भी दी जानी चाहिये.
नई शिक्षा नीति में बीए में अर्थशास्त्र रसायनशा़त्र और अंग्रेजी विषय का समूह बनाकर हायरसेकेंडरी और कालेज परीक्षा की सुविधा है बस इसका विस्तार किया जाना है.
शिक्षा मानव की प्रगति की पहली सीढ़ी है इसके ज्यादा से ज्यादा अवसर उपलब्ध करवा कर बेहतर शिक्षा के ज्यादा मौके देकर उंची कक्षाओं में शिक्षा लेने की राह की बाधाएं हटाकर हम भारत की नई पीढ़ी को सौगातें दे सकते हैं. अंत में यह कहना चाहूंगा कि इसके लिये संसाधनों से ज्यादा दृढ़ राजनीतिक इच्छा की जरूरत है जिसका शानदार प्रदर्शन अभी तक तो नरेन्द्र भाई मोदी ही कर पाए हैं. इसलिये यह कहने में मुझे कोई हिचक नहीं है कि मोदी है तो मुमकिन है.