विकास, महंगाई और बेरोजगारी चर्चा में तो रहता है लेकिन वह वोट के मामले में असरकारी साबित नहीं होता है और जातियां हावी हो जाती है. क्यों?
दूसरा सवाल यह है कि मीडिया में कौन सा मुद्दा है या महंगाई, बेरोजगारी और विकास मुद्दा है? यह पूछने वाले यह क्यों नहीं पूछते कि इस सवाल को कौन हल कर सकता है? या जब वह किसाी पार्टी का नाम समाधान करने वालों में बताता हे तो यह क्यों नहीं पूछा जाता कि बताई गई पार्टी इस सवाल को कैसे हल करेगी.
जो विरोध में हैं उनसे यह क्यों नहीं पूछा जाता कि वह जो वादे यहां कर रहे हैं उन्हें कैसे पूरे करेंगे. या जहां वे सत्ता में हैं वहां यह वादा क्यों नहीं लागू किया गया है.
भाजपा जवाब है तो यह क्यों नहीं पूछा जाता है भाजपा ने अब तक इसे क्यों नहीं किया या अब ऐसा क्या हो गया है जो अब भाजपा हल कर लेगी?